लेखनी कहानी -23-Aug-2022 - दैनिक प्रतियोगिता हेतु- लालसा
शिव दर्शन की लालसा मन में समाई हैं,
भाई मेरे आई सावन की अमराई हैं।
शिव जैसा नहीं कोई है दूजा,
दिल से करती मैं तुम्हारी पूजा,
बिन तेरी कृपा के नैय्या घबराई हैं।
शिव शंभू तेरा रूप है प्यारा,
तुम ही हो मेरे जीने का सहारा।
गंगाजल पावन निकला जटा से,
चंदा को हैं तुमने शीश पर धारा,
शिखा देख देख तुम्हें हर्षाई हैं।
शिव दर्शन की लालसा मन में समाई हैं,
भाई मेरे आई सावन की अमराई हैं।
नंदी को तुम हो साथ में रखते,
त्रिशूल, डमरू तेरे हाथ में सजते,
गले में पहनी रुद्राक्ष की माला,
महामृत्युंजय मंत्र हैं तेरा भाला।
ओम नमः शिवाय का मंत्र जपते,
नीलकंठ तेरा नाम हम भजते,
गणों और देवो ने मिल बारात सजाई हैं।
कैलाश पर भोले वास तुम्हारा,
आराधना तेरी ही मेरा सहारा।
शिव दर्शन की लालसा मन में समाई हैं,
भाई मेरे आई सावन की अमराई हैं।।
#दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Chetna swrnkar
24-Aug-2022 11:51 AM
Nice
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
24-Aug-2022 08:24 AM
वाह लाजवाब लाजवाब लाजवाब
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Renu
24-Aug-2022 07:58 AM
Nice
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